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संदेश

सफर (किराये के घर से बृद्धाश्रम तक)

                                                                                      बृद्धाश्रम  का वो कमरा जिसमें 8-10 बेड पड़े हुए थे, हर बेड के पास कुछ समान भी रखा हुआ था और कुछ बुजुर्ग महिलाएं आपस में बात करते हुए एक दूसरे का  दुख सुख बांटने की कोशिश कर रही थी। बृद्धाश्रम जहां पर सब एक ही जैसे तो थे सब को उनके अपनों ने ही धोखा दिया था। उसी कमरे के एक कोने में बेड पर अकेली बैठी वो अपने अतीत की यादों में खोई हुई थी। कमरे की खिड़की से बाहर झांकती उसकी आंखें, जो उम्र के असर से नहीं बल्कि हालातों की मार और जीवन के सफ़र की थकावट की वजह से समय से पहले बूढ़ी हो गई थी, अपने अतीत को याद करके उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे। तभी राधिका जी ने पीछे से आकर कहा घर की याद आ रही है सीमा? अपने आंसू पोंछते हुए सीमा ने कहा नहीं.... नही तो.... राधिका जी सीमा से उम्र में बड़ी थी लेकि...

रुद्राष्टक का हिंदी में अर्थ

         🙏🙏🙏   नमामीशमीशान निर्वाणरुपं ।                                           विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं।।                                             निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं।                                          चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं।।                                                                                                          ...

दहेज प्रथा

  मां के आंचल की कली, ममता की छांव में पली। सपनो के आंगन में, पापा की उंगली पकड़ कर चली। भाई के संग खेली , बहन की सच्ची सहेली। आंखों में सपने दिल में अरमान लिए, जाने कितनी जल्दी बड़ी हुई। माता पिता की जान थी जो घर आंगन की शान थी वो, डोली में बैठ आज विदा हो चली। बनी वो रौनक किसी और के घर आंगन में, किया समर्पण तन और मन से। कुछ दिन ससुराल में बड़े प्यार से रही जो, बाद में  मार और ताने सही वो। नहीं मिला चैन इतने से भी उन दरिंदों को, आखिर एक दिन दहेज की आग में जली वो। रोता छोड़ चली परिवार और सहेली , बन गई उसकी जिंदगी एक पहेली। खोया एक मां बाप ने अपने जिगर का टुकड़ा, लेट कर अर्थी पर दुनिया से चली वो। क्यों नहीं मिटती ये दहेज प्रथा, जो है हर लड़की की व्यथा। यही है समाज का सच , ना समझना इसको कथा।।

अनोखा प्यार

                     ऑफिस बन्द हो गया था सब अपने - अपने घर जाने की जल्दी में आपस में बातें करते हुए बाहर निकल रहे थे, इस भीड़ में शांत सी दिखती शिया बाहर निकली, उसके चेहरे को देख कर साफ़ पता चल रहा था कि वो अपने मन में दुखों का कितना बड़ा समंदर समेटे हुए थी । अभी वो बाहर निकली ही थी कि, किसी की आवाज आई शिया ..वो चौंक कर पीछे मुड़ी सामने राघव खड़ा था , राघव और शिया कॉलेज में साथ पढ़ते थे, पांच दोस्तों का ग्रुप था उनका, कॉलेज ख़तम होने के बाद आज उन लोगों की मुलाकात हुई थी। थोड़ी सी बातें करने के बाद राघव ने कहा चलो घर चलते है में तुम्हे घर छोंड़ देता हूं।                                  राघव  भी उस तरफ ही जा रहा था। रास्ते में  राघव ने कई बार शिया से पूछा कि सब ठीक तो है ना क्योंकि शिया को देखकर उसे लग रहा कि वो बहुत परेशान है , जो लड़की हर समय बोलती रहती थी कितना खुशमिजाज थी वो आज बिल्कुल चुप थी, लेकिन हर बार शिया ने सब ठीक है कहकर उस...

औरत तेरी यही कहानी

  औरत तेरी यही कहानी , अपने घर में रानी, ससुराल में नौकरानी। मां कहती थी बिटिया रानी , सासू मां कहती है महारानी । जानवर में और तुझमें कुछ तो है फर्क , वो रहता है फिर भी सुकून से, तेरी जिंदगी तो है नर्क । पूजा करो पति कि वो है परमेश्वर, क्या इस दुनियां में कहीं नहीं है ईश्वर , भेज दिया जिन्होंने तुझे इस दुनियां में लक्ष्मी बनाकर, क्या वो अब नहीं देखते , तेरे पति तुझे रोज जानवरों की तरह पीटते । वो भी कहते हैं जाकर मर जा कलंकिनी , जिनकी है तू जीवन संगिनी । सासू मां कहती हैं कि तू है मनहूस , क्योंकि उन्हें नहीं मिली है दहेज रूपी घूस । किस्मत लिखवाते समय क्या तू रही थी सो , यही है अब तेरी किस्मत जिंदगी भर रो । बनने जा रही है तू मां , खुशियां नहीं अपनी खैर मना , बेटा हुआ तो तू है बहूूरानी , नहीं तो बेटी के साथ देनी होगी तुझे , अपनी जान की भी कुर्बानी । औरत तेरी यही कहानी ।।

सुन्दरकाण्ड मंगलाचरण संस्कृत और हिन्दी में

                                            🙏🙏🙏    शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाण शान्तिप्रदं                       ब्रह्माशम्भुफनीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्मं बिभुम् ।     रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं     बन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम् ॥१॥         नान्या स्पृहा  रघुपते हृदयेऽस्मदीये    सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा ।    भक्ति प्रयच्छ  रघुपुन्ड्ग्व  निर्भरां में     कामादिदोषरहितं कुरु मानसून च ॥२॥    अतुलितबलधामं  हेमशैलाभदेहं         दनुजवनकृशानुं  ज्ञानिनामग्रगयम् ।    सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं     रघुपतिप्रियभक्तं  वातजातं नमामि॥३॥ 🙏शांत, सनातन, अप्रमेय (प्रमाणों से परे), निष्पाप, मोक्षरूप, परमशांति देने व...

माता जी के मंत्र

         🙏 सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके                               शरण्ये त्रयंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते🙏  सभी प्रकार के मंगल को करने वाली शिव स्वरूपा देवी तुम है शरण ग्रहण करने योग्य हो, तीन नेत्रों वाली(भूत,भविष्य,और वर्तमान को देखने वाली) माता गौरी भगवान के सभी स्वरूपों के साथ आप जुड़ी हो हे माता जी आपको नमस्कार है🙏🙏🙏          🙏 या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता                                 नमसतस्यै नमसतस्यै नमसतस्यै नमो नमः🙏   जो देवी सभी मनुष्यों में शक्ति रूप में स्थित है उनको नमस्कार है उनको नमस्कार है उनको बारंबार नमस्कार है🙏🙏 🙏                      🙏 ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी                        द...