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छुपा हुआ दर्द

 यह शहर यहां के लोग और यह होटल जहां अकेले बैठ कर पूजा कॉफी पी रही थी सब उसके लिए अनजान थे। यहां पर वह किसी को नहीं जानती थी, क्योंकि पहली बार उसका इस शहर में आना हुआ था। लेकिन इन अनजान लोगों के बीच में एक जानी पहचानी आवाज पूजा को बार बार सुनाई देती, पूजा हर बार पलट कर इधर उधर देखती लेकिन उसकी कुछ समझ में नहीं आता कि आवाज किसकी थी। अपनी कॉफी ख़तम करने के बाद पूजा थोड़ी देर उसी जगह चुपचाप बैठ कर कुछ सोचती रही फिर वहां से उठ कर होटल के मैनेजर से कुछ बात की। मैनेजर से बात करने के बाद जैसे ही पूजा बाहर जाने के लिए पीछे मुड़ी , उसे फिर से वही आवाज सुनाई उसने देखा सामने प्रीती बैठी थी। पूजा कुछ बोलती उसके पहले ही प्रीती ने कहा पूजा... कैसी हो और यहां कैसे? पूजा और प्रीती एक साथ हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करती थी, दोनों एक दूसरे को जानती थी लेकिन दोनों में कोई ज्यादा अच्छी दोस्ती नहीं थी। इसलिए हॉस्टल छोड़ने के बाद दोनों कई सालों के बाद मिल रही थी।                                                            प्रीती का परिवार इसी शहर में रहता था और प्रीती यहीं पर जॉब भी करती थी। पूजा ने बताया कि वह आज ही ट्रांसफर होकर इस शहर में आयी है। इत्तेफाक से पूजा और प्रीती दोनों का ऑफिस एक ही था। प्रीती का घर उस होटल के पास ही था। प्रीती पूजा को अपने साथ अपने घर लेकर गई। चाय पीते हुए पूजा ने बताया कि उसे रहने के लिए किराए पर एक कमरा चाहिए, इसी की तलाश में वह होटल में गई थी लेकिन मैनेजर से बात करने पर पता चला कि वहां पर कोई भी कमरा खाली नहीं है। सोचा था कि अगर दो तीन दिन के लिए ही होटल में कोई कमरा मिल जाता तो ऑफिस में ही किसी ना किसी की सहायता से बाहर कहीं अलग कमरा लेकर होटल छोड़ देती। प्रीती के घर पर ऊपर का कमरा खाली था इसलिए प्रीती के मम्मी पापा ने पूजा को वहीं अपने साथ अपने घर में रहने के लिए कहा और ऊपर का कमरा उसे से दिया। अब दोनों साथ साथ ही ऑफिस जाती थी और ज्यादा समय घर पर भी साथ ही बिताती थी। इस बीच कई बार प्रीती को लगा कि शायद पूजा कुछ खोई खोई सी रहती है एक दो बार प्रीती ने पूछने की कोशिश की तो पूजा बात को टाल गई , इस पर प्रीती को लगा कि शायद पूजा अपने घर से इतनी दूर है और उसे घरवालों की याद आती होगी इसलिए वह कभी कभी उदास लगती है।                                                                                   प्रीती के घरवाले बहुत अच्छे थे इसलिए पूजा ज्यादा समय उन लोगों के साथ ही बिताती थी। कुछ समय बाद प्रीती की शादी तय हो गई। लड़का ( मिहिर) और उसके घरवाले बहुत अच्छे थे। मिहिर सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। मिहिर प्रीती को बहुत पसंद आया वह बहुत खुश थी। मिहिर का रंग रूप और पर्सनॉलिटी सब कुछ बहुत अच्छा था। मिहिर बहुत ही सरल स्वभाव का था। प्रीती अक्सर मिहिर से देर तक बातें करती थी, कभी कभी दोनों साथ साथ घूमने भी जाते थे। शादी तय होते ही उनकी सगाई हो गई। शादी की तारीख 6 महीने बात की रखी गई। सब लोग बहुत खुश थे। शादी की थोड़ी बहुत तैयारियां भी सुरु कर दी गई। दिन भर शादी की बातें ही होती थी समय भी बहुत तेजी से बीत रहा था, जैसे - जैसे समय बीत रहा था शादी की तैयारियां और तेजी से रही थी। प्रीती भी अपनी शादी की शॉपिंग करना सुरु कर दिया था। इस बीच होली की छुट्टी हो गई पूजा अपने घर चली गई, 5 दिन बाद जब पूजा वापस आयी तब शादी की रस्में सुरु हो चुकी थी पूजा दिन भर प्रीती के साथ उसकी शादी की तैयारियों में ही लगी रहती थी। शादी की रस्मों के बीच हसीं मजाक भी चलता रहता इस बीच कभी कभी प्रीती की मम्मी कहती कि पूजा अब एक अच्छा लड़का देखकर तुम भी शादी कर लो, पूजा कुछ नहीं कहती बस कभी वहां से चली जाती और कभी थोड़ा सा मुस्कुरा देती, सबको लगता शायद उसको शर्म आ गई है।                                                                              शादी के तीन दिन पहले सारे कार्यक्रम ख़तम होने के बाद लगभग साढ़े दस बजे सब लोग डिनर करने के लिए बैठे थे कि फोन की घंटी बजी प्रीती के पापा ने फोन उठाया और फोन उठाते ही एकदम से उनके चेहरे का रंग उड़ गया.. उन्होंने फोन काट दिया और उसी जगह कुर्सी पर बैठ गए, किसी ने फोन पर बताया था कि मिहिर का एक्सिडेंट हो गया है और वह हॉस्पिटल में है। सभी लोग तुरंत ही हॉस्पिटल गए। मिहिर के सर में बहुत ज्यादा चोटें आई थी। उसका बहुत ज्यादा खून बह चुका था। डॉक्टर ने मिहिर का ऑपरेशन भी किया लेकिन वो उसे बचा नहीं सके।                                                                        मिहिर की मौत से प्रीती को बहुत बड़ा सदमा लगा वह अंदर ही अंदर टूट गई। तीन दिन तक प्रीती ने ना तो किसी से बात की और ना ही कुछ खाया। प्रीती की हालत से घर वाले बहुत परेशान थे। प्रीती ने बिस्तर पकड़ लिया था। किसी के कुछ कहने और समझाने का उस पर कोई असर नहीं होता था। चौथे दिन पूजा खाना लेकर प्रीती के कमरे में गई। पूजा को देखकर प्रीती फिर से रोना सुरु कर दी, पूजा ने प्रीती को समझाना और चुप कराना सुरु किया, लेकिन प्रीती बस रोए ही जा रही थी। पूजा ने कहा कि किसी के चले जाने से हम जीना तो नहीं छोड़ सकते ना, आखिर हमारी भी तो कुछ जिम्मेदारियां होती है…... ....अपने लिए नहीं तो अपने मम्मी पापा के बारे में सोचो, कितना परेशान है वो लोग तुम्हारे लिए कुछ खा लो प्रीती देखो तुम्हारी तबियत खराब हो गई ऐसे कैसे चलेगा, पूजा के समझाने का प्रीती पर कोई असर नहीं हुआ। उल्टा प्रीती को पूजा की बातों से गुस्सा आ गया और उसने पूजा पर चिल्लाते और गुस्सा करते हुए बोली की तुम्हे क्या पता किसी अपने के खोने का दर्द क्या होता है। तुम्हारे साथ होता तो तुमको पता चलता 6 महीने से मै उनके साथ थी, वो मेरे होने वाले पति थे, मै कैसे उनको भूल सकती हूं, जाओ तुम यहां से प्रीती की बात सुनकर पूजा रोते हुए अपने कमरे में चली गई।                                                                           तीन चार घंटे तक पूजा अपने कमरे से बाहर नहीं निकली , शाम को पूजा ने अपने कमरे का दरवाजा खोला और बाहर निकली पूजा के हांथ में एक फोटो फ्रेम था उसने वो फोटो फ्रेम प्रीती की मां को पकड़ा दिया फोटो देखते ही उन्होंने पूजा की तरफ सवालों भरी नजर से देखा तो पूजा ने कहा कि यह मेरी शादी की फोटो है, इतना सुनते ही प्रीती उठकर बैठ गई और बाकी सारे लोग भी बहुत आश्चर्य से पूजा को देखने लगे पूजा ने बताया कि चार साल पहले मेरी शादी हुई थी। मेरे पति बहुत अच्छे थे। बहुत प्यार करते थे हम एक दूसरे को। वो मेरा बहुत ध्यान रखते थे दो साल पहले हमारी एक बेटी हुई हमारे जीवन में खुशियां भर गई मेरे पति बहुत खुश थे वो हमारी हर छोटी बड़ी जरूरत का ध्यान रखते थे लेकिन हमारी खुशियों को जैसे किसी की नजर लग गई एक साल पहले एक एक्सिडेंट में उनकी मृत्यु हो गई मुझे लगा जैसे मेरी दुनिया ही ख़तम हो गई उनके बिना मेरा जीने का मन नहीं करता था बस हर पल यही लगता कि हम भी उन्हीं के साथ मर जाते तो अच्छा होता, लेकिन अगर हम मर जाते तो हमारी बेटी का क्या होता, उसकी क्या गलती थी, इसलिए हमको जीना था उसके लिए, उसे ढेर सारी खुशियां देनी थी, मै अपने पति को भूल तो नहीं सकती, लेकिन उनकी यादों के साथ अपनी बेटी के लिए हमको जीना था, इसी बीच मेरा ट्रांसफर हो गया बेटी को अपनी मां के पास छोड़कर यहां ये सोचकर आई थी कि जिस दिन वहां पर रहने के लिए अच्छी जगह मिल जाएगी और सब कुछ सेटल हो जाएगा उस दिन अपनी बेटी को अपने साथ ले आऊंगी। यहां आने के बाद सोचा की आप लोग को सब कुछ बता दें लेकिन तब तक प्रीती की शादी तय हो गई इसलिए फिर मैंने किसी से कुछ नहीं कहा, क्योंकि यह सब बता कर मै इस खुशी के माहौल को खराब नहीं करना चाहती थी। प्रीती यह सब चुपचाप सुन रही थी, उसने पूजा का हांथ पकड़ कर उससे माफी मांगी और उसे गले से लगा लिया। प्रीती ने कहा कि अब मै कभी नहीं रोऊंगी और इस बार संडे को चलकर अपनी बेटी को ले आते हैं, वह अब यहां रहेगी हमारे साथ अपनी मौसी और अपने नानी नाना के पास। प्रीती मन ही मन सोच रही थी कि कितना बड़ा दर्द अपने दिल में छुपाकर पूजा इतने दिन से कैसे जी रही है, इसके दर्द के सामने मेरा दर्द तो कुछ भी नहीं। पूजा सच में बहुत महान है, अब मै उसे कभी दुःखी नहीं होने दूंगी उसका और उसकी बेटी का पूरा ख्याल रखूंगी...।


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