पल भर में हमने किस्मत को बदलते देखा।
कल तक खुशियों से आबाद थी जिसकी दुनिया,
आज उसकी दुनियां को हमने उजड़ते देखा।
पल भर में हमने किस्मत को बदलते देखा।।
कल तक जो सुहागन थी, उसकी मांग का सिंदूर हमने बिखरते देखा।
पल भर में हमने किस्मत को बदलते देखा।।
गूंजती थी जिसकी चूड़ियों की खनक घर आंगन में,
आज उसकी चूड़ियों को हमने उतरते देखा।
पल भर में हमने किस्मत को बदलते देखा।।
पता नही था जिसे पिता का मतलब,
आज उसको हमने अपने पिता से बिछड़ते देखा।
पल भर में हमने किस्मत को बदलते देखा।।
खिला रहता था खुशी से जिस सुहागन का चेहरा,
उस चेहरे पर हमने गमों का पहरा देखा।
पल भर में हमने किस्मत को बदलते देखा।।
क्यों नहीं ठहरती खुशियां किसी के पास ज्यादा दिन,
हमने खुशियों को इधर - उधर टहलते देखा।
पल भर में हमने किस्मत को बदलते देखा।।
Bahut achi poem
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