नारी है तू शक्ति है,
तू दुर्गा है तू काली है।
क्यों सहे किसी के अत्याचारों को,
तू तो महिषासुर को संहारी है।
नहीं है कमजोर किसी से,
तू जग को जीवन देने वाली है।
बसती है सभी शक्तियां तुझमें,
तू शक्ति की अवतारी है।
मजबूत बन तू अंदर से,
तू धरा सी क्षमता धारी है।
चल उठ जाग औरों को भी जगा,
तू तो जग जननी कल्याणी है।
है जग का श्रृंगार तुझसे,
प्रकृति है तू हरियाली है।
है अद्भुत साहस तुझमें,
तूने पर्वत में भी राह निकाली है।
हिल गए फिरंगी तेरे डर से,
तू लक्ष्मीबाई मर्दानी है।
रुकना नहीं तू थकना नही,
हारना नहीं तू गिरना नहीं,
साहस है तू क्षमता है,
अजेय है तू अविनाशी है।
नारी है तू शक्ति है,
दुर्गा है तू काली है।।
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