यह शहर यहां के लोग और यह होटल जहां अकेले बैठ कर पूजा कॉफी पी रही थी सब उसके लिए अनजान थे। यहां पर वह किसी को नहीं जानती थी, क्योंकि पहली बार उसका इस शहर में आना हुआ था। लेकिन इन अनजान लोगों के बीच में एक जानी पहचानी आवाज पूजा को बार बार सुनाई देती, पूजा हर बार पलट कर इधर उधर देखती लेकिन उसकी कुछ समझ में नहीं आता कि आवाज किसकी थी। अपनी कॉफी ख़तम करने के बाद पूजा थोड़ी देर उसी जगह चुपचाप बैठ कर कुछ सोचती रही फिर वहां से उठ कर होटल के मैनेजर से कुछ बात की। मैनेजर से बात करने के बाद जैसे ही पूजा बाहर जाने के लिए पीछे मुड़ी , उसे फिर से वही आवाज सुनाई उसने देखा सामने प्रीती बैठी थी। पूजा कुछ बोलती उसके पहले ही प्रीती ने कहा पूजा... कैसी हो और यहां कैसे? पूजा और प्रीती एक साथ हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करती थी, दोनों एक दूसरे को जानती थी लेकिन दोनों में कोई ज्यादा अच्छी दोस्ती नहीं थी। इसलिए हॉस्टल छोड़ने के बाद दोनों कई सालों के बाद मिल रही थी। ...
पुष्प वाटिका हमारे एहसासों की दुनिया... हमारी स्वरचित कहानियां, कविताएं, शायरी, धार्मिक और ऐतिहासिक कहानियां....