औरत तेरी यही कहानी , अपने घर में रानी, ससुराल में नौकरानी। मां कहती थी बिटिया रानी , सासू मां कहती है महारानी । जानवर में और तुझमें कुछ तो है फर्क , वो रहता है फिर भी सुकून से, तेरी जिंदगी तो है नर्क । पूजा करो पति कि वो है परमेश्वर, क्या इस दुनियां में कहीं नहीं है ईश्वर , भेज दिया जिन्होंने तुझे इस दुनियां में लक्ष्मी बनाकर, क्या वो अब नहीं देखते , तेरे पति तुझे रोज जानवरों की तरह पीटते । वो भी कहते हैं जाकर मर जा कलंकिनी , जिनकी है तू जीवन संगिनी । सासू मां कहती हैं कि तू है मनहूस , क्योंकि उन्हें नहीं मिली है दहेज रूपी घूस । किस्मत लिखवाते समय क्या तू रही थी सो , यही है अब तेरी किस्मत जिंदगी भर रो । बनने जा रही है तू मां , खुशियां नहीं अपनी खैर मना , बेटा हुआ तो तू है बहूूरानी , नहीं तो बेटी के साथ देनी होगी तुझे , अपनी जान की भी कुर्बानी । औरत तेरी यही कहानी ।।
पुष्प वाटिका हमारे एहसासों की दुनिया... हमारी स्वरचित कहानियां, कविताएं, शायरी, धार्मिक और ऐतिहासिक कहानियां....